NaradSandesh।।नई दिल्ली,06अक्टूबर: पुरानी पेंशन बहाली, ठेका कर्मियों की रेगुलराइजेशन, पीएसयू के निजीकरण पर रोक, 60 लाख खाली पदों को भरने, आठवें वेतन आयोग का गठन, कोरोना माहमारी में फ्रिज किए गए 18 महीने के बकाया डीए / डीआर का भुगतान, एनईपी को वापस लेने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा, पेंशनर्स की 65,70,75 व 80 साल की उम्र के बाद बेसिक पेंशन में पांच प्रतिशत बढ़ोतरी करने,एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने आदि सात सूत्री मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य कर्मियों ने लामबंद होकर 3 नवंबर को रामलीला मैदान नई दिल्ली में रैली कर ताकत दिखाएंगे। यह रैली ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी। यह दावा शुक्रवार को अरावली गोल्फ कोर्स में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने किया। प्रेस कांफ्रेंस में अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के महासचिव ए.श्री कुमार ,कोषाध्यक्ष शशीकांत राय, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, जिला प्रधान करतार सिंह व सचिव युद्धवीर सिंह खत्री मौजूद थे। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य प्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने कहा कि रैली में हरियाणा से हजारों की संख्या में पालिका कर्मचारी शामिल होंगे।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव ए. श्रीकुमार ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि रैली का आह्वान अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ और कनफरडेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलाइज एंड वर्कर्स ने संयुक्त तौर पर किया है। रैली में स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसटीएफआई), आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट पेंशनर्स फेडरेशन के अलावा रेलवे, बैंक, बीमा व डिफेंस में कार्यरत कर्मियों के संगठनों ने भी शामिल होने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि रैली में सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों और विशेषकर पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल से बड़ी संख्या में केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। रैली में सरकार के खिलाफ निर्णायक आंदोलन का ऐलान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रैली की तैयारियों को लेकर 9 अगस्त से शुरू हुए हजारों कर्मचारी वाहन जत्थे सभी राज्यों में कर्मचारियों से संपर्क करने के लिए व्यापक जन संपर्क अभियान चलाएं हुए हैं। रैली को लेकर कर्मचारियों में भारी उत्साह है और वह हजारों की संख्या में तीन नवंबर को रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि “वन नेशन वन इलेक्शन” के पैरोकार “वन नेशन वन पेंशन” पर चुप क्यों हैं ?
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के कोषाध्यक्ष शशीकांत राय ने कहा कि केन्द्र एवं राज्यों के कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग को लेकर निरंतर आंदोलन चलाए हुए हैं। लेकिन केन्द्र सरकार सुनने को तैयार नहीं है।उन्होंने कहा कि देशभर में स्थाई प्रकृति के काम पर गैर कानूनी तरीके से करीब पचास हजार ठेका संविदा पर कर्मियों को वर्षों से लगाया हुआ है। इन नौजवान कर्मचारियों को ना तो रेगुलर कर्मचारी के समान वेतन दिया जा रहा है और न ही सेवा सुरक्षा व अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है। सरकार पालिसी बनाकर इन ठेका कर्मचारियों को रेगुलर करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्कलोड व आबादी के अनुसार केन्द्र एवं राज्य सरकारों और पीएसयू में करीब एक करोड़ पद रिक्त हैं। लेकिन दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष देने का वादा करके सत्ता में आई सरकार रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भरने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि आठवें पे कमीशन की सिफारिशों को जनवरी 2026 से कर्मियों पर लागू किया जाना है, लेकिन अभी तक इसका गठन तक नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जीएसटी का रिकॉर्ड कलेक्शन हो रहा है। इसके बावजूद कर्मचारियों और पेंशनर्स के कोविड 19 में रोकें गए 18 महीने के बकाया डीए का भुगतान नहीं किया जा रहा है। दूसरी तरफ बड़े पूंजीपतियों को लाखों करोड़ रुपए के टैक्सों व कर्जों को माफ किया जा रहा है। ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर निरंतर हमले किए जा रहे हैं। सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने पर ISROSA, AIPEU- Class 3,NFPE आदि एसोसिएशन / फेडरेशन की मान्यता को रद्द कर दिया गया है।
संसद द्वारा पारित किए बिना ही देश में एनईपी को जबरन लागू किया जा रहा है। कोविड 19 से सबक लेकर पब्लिक सेक्टर को मजबूत करने की बजाय एनएमपी के नाम पर पीएसयू को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों पेंशनर्स की 65,70,75 व 80 साल की उम्र के बाद बेसिक पेंशन में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की मांग को भी सरकार सुनने को तैयार नहीं है और न ही एक्स ग्रेसिया रोजगार स्कीम में लगाई गई शर्तों को हटाने के लिए राजी है। जिसके कारण केन्द्र एवं राज्य कर्मियों और शिक्षकों से भारी आक्रोश है।