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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय शिक्षण वर्ग प्रशिक्षण शिविर संपन्न

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NaradSandesh।।फरीदाबाद,15अक्टूबर: शिक्षा वही जो बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखे। संस्कृति से जुड़ी शिक्षा देश के भविष्य और समाज को नए शिखर की ओर ले जा सकती है। शिक्षा ऐसी हो जिसमें जीवन जीने की कला हो। यह बात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी सोनीपत की डा. अर्चना मिश्रा ने ग्रेटर फरीदाबाद स्थित श्रद्धा मंदिर स्कूल परिसर में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा प्रदेश स्तरीय दो दिवसीय शिक्षण वर्ग प्रशिक्षण शिविर में भारतीय शिक्षा का दर्शन एवं स्वरूप पर चर्चा करते हुए कही। उन्होंने कहा कि समय-समय पर शिक्षा में परिवर्तन होता रहा है। हमारे देश के लिए मूल्य आधारित शिक्षा होनी चाहिए।

नई शिक्षा नीति में इसका समावेश हुआ है। पुरातन शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा को जोडक़र संस्कृति की पराकष्ठा पर कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति धार्मिक ग्रंथों में बताई गई 64 कलाओं की परिणति है। प्रदेश भर से आए प्रशिक्षार्थियों का श्रद्धा मंदिर स्कूल के प्रिंसीपल डा. गजराज ङ्क्षसह आर्य ने स्कूल परिसर में अंग वस्त्र और पुष्प मालाओं से स्वागत किया। यह शिविर दो दिन 4 सत्रों में चलेगा। प्रशिक्षण शिविर के पहले सत्र के मुख्य वक्ता डीएवी स्कूलस जींद के रिजनल डायरेक्टर धर्मदेव विद्यार्थी ने शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्या से अमृत मिलता है। विद्या सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त करवाती है। विद्या ज्ञान का रूप है और इस कला को प्राप्त करने के लिए शिक्षा जरूरी है। विद्या को लौकिक विद्या तथा आत्मिक विद्या के रूप में भी जाना जाता है।

लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है जो उन्नत जीवन के लिए बहुत जरूरी है और तभी जीवन सार्थक हो सकता है। धर्मदेव ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकांगों में कहा कि भारत पूरे संसार में ज्ञान फैला रहा है। मनुष्य की अंर्तनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। शिक्षा को महात्मा गांधी ने अपने वर्णित शब्दों में कहा है कि शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक एवं मनुष्य के शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा के सर्वांगीण विकास से है। दो दिवसीय शिविर में इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी मीरपुर रेवाडी के वाइस चांसलर जयप्रकाश यादव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रिय संयोजक डा. चंद्रशेखर, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सचिव शर्मा, हरियाणा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहसंयोजक प्रो. हितेंद्र त्यागी, उत्तरक्षेत्र संयोजक जगराम, सहसंयोजक दीपक वशिष्ठ, डी.सी. सैनी, राजकुमार आर्य, राजेश आर्या ने प्रश्क्षििण वर्ग को संबोधित करते हुए नई शिक्षा नीति और शिक्षा पर अपने विचार, अनुभव, शोध और अनुभवों का शिक्षकों के साथ आदान प्रदान किया।

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